
उत्तराखंड में हरक सिंह रावत इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. अपनी बेबाक बयानबाजी से वे लगातार बीजेपी नेताओं का सिरदर्द बने हुए हैं. रावत के आरोपों और खुलासों ने न केवल बीजेपी को घेरा है, बल्कि उत्तराखंड कांग्रेस में भी एक नई ऊर्जा का संचार किया है.
हरक सिंह रावत ने बीजेपी पर 27 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है, और कहा है कि पार्टी के तमाम नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी में रहते हुए उन्होंने कई अनियमितताओं को देखा, लेकिन अब वे इन मुद्दों को उठा रहे हैं. रावत ने कहा कि मैं तब तक चैन से नहीं बैठूंगा, जब तक उत्तराखंड से बीजेपी की सरकार नहीं हट जाती.
2017 में कांग्रेस से की थी बगावत
हरक सिंह रावत का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है. 2017 में उन्होंने हरीश रावत की कांग्रेस सरकार से बगावत कर उसकी सरकार गिरा दी थी और बीजेपी में शामिल हो गए थे. उनके साथ 11 विधायक भी बीजेपी में आए, जिनमें से सुबोध उनियाल और रेखा आर्य आज भी बीजेपी में मंत्री हैं. हालांकि, 2022 विधानसभा चुनाव से पहले रावत ने बीजेपी छोड़ दी और कांग्रेस में लौट आए. उनके साथ यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य भी बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए.
सीबीआई औरEDकी जांच
बीजेपी छोड़ने के बाद हरक सिंह रावत पर मुश्किलें बढ़ीं. कॉर्बेट नेशनल पार्क में पाखरो सफारी निर्माण को लेकर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच शुरू की. ED ने रावत को कई बार नोटिस जारी किए और एक बार उनके घर पर छापेमारी भी की. बावजूद इसके रावत ने हार नहीं मानी और अब वे एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं.
कांग्रेस में नई ऊर्जा
हरक सिंह रावत की बयानबाजी से उत्तराखंड कांग्रेस में एक नई जान सी आई है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर कांग्रेस रावत को फ्री हैंड देती है और उन्हें पार्टी की कमान सौंपती है, तो 2027 में बीजेपी को हराने का मौका बन सकता है. रावत की लगातार बयानबाजी से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश देखा जा रहा है.
बीजेपीका जवाब
बीजेपीअभी तक रावत के आरोपों का कोई ठोस जवाब नहीं दे पाई है. प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा है कि वे रावत को उनकी ही भाषा में जवाब देंगे, लेकिन अभी तक कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है. रावत की बयानबाजी बीजेपी के लिए मुसीबत का पहाड़ बनती जा रही है.
हरीश रावत का रुख
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अभी भी 2017 की बगावत को नहीं भूले हैं और वे लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. सवाल यह है कि क्या वे रावत को माफ करेंगे और कांग्रेस में उनकी भूमिका को स्वीकार करेंगे? यदि हरीश रावत रावत को समर्थन देते हैं, तो इसका असर राज्य की राजनीति पर पड़ सकता है.
क्या बदलेगा सियासी समीकरण?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर कांग्रेस हरक सिंह रावत को अहम जिम्मेदारी सौंपती है, तो 2027 में राज्य में सियासी समीकरण बदल सकते हैं. रावत की लोकप्रियता और उनकी बयानबाजी से कांग्रेस को फायदा हो सकता है, लेकिन इसके लिए पार्टी को आन्तरिक मतभेद सुलझाने होंगे.