Otherशिक्षा

यहां के इंजीनियरिंग कॉलेजों में सन्नाटा! 40 हजार सीटें खाली, तीसरे चरण की काउंसलिंग से उम्मीद

वक्त के साथ तस्वीरें कैसे बदल जाती हैं, यह बात आज एमपी के इंजीनियरिंग कॉलेजों पर पूरी तरह लागू होती है. कुछ साल पहले तक जिन कॉलेजों में एडमिशन के लिए लंबी-लंबी कतारें लगती थीं, वहां अब सन्नाटा पसरा है. कभी जहां छात्रों और अभिभावकों में सीट पाने की होड़ रहती थी, अब वहां हजारों सीटें खाली पड़ी हैं. हालात इतने खराब हैं कि कई प्राइवेट कॉलेजों के बंद होने का खतरा मंडरा रहा है.

कभी इंजीनियर बनने का सपना युवाओं के करियर की पहली पसंद होता था. छात्र लाखों रुपये खर्च कर सिर्फ एक अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला पाने के लिए तैयार रहते थे. लेकिन आज परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है. अब युवा न तो इस क्षेत्र में उतनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं और न ही एडमिशन के लिए भागदौड़ कर रहे हैं.

40 हजार सीटें अब भी खाली
ताजा आंकड़े इस स्थिति को और स्पष्ट कर देते हैं. प्रदेश के 124 इंजीनियरिंग कॉलेजों में कुल 73,412 सीटें हैं. पहले और दूसरे चरण की काउंसलिंग पूरी होने के बाद भी लगभग 40 हजार सीटें खाली हैं. अब तक सिर्फ 32,743 सीटों पर ही एडमिशन हो पाया है. ये आंकड़े साफ बताते हैं कि इंजीनियरिंग को लेकर युवाओं का उत्साह तेजी से कम हुआ है.

सीएलसी के जरिए बचाने की कोशिश
खाली पड़ी सीटों को भरने के लिए कॉलेज अब कॉलेज लेवल काउंसलिंग (CLC) कर रहे हैं. मंगलवार से शुरू हुई इस प्रक्रिया में 14 अगस्त तक प्रवेश पूरे कर लिए जाएंगे. यह तीसरा चरण है, जिसमें कॉलेज खुद छात्रों से संपर्क कर एडमिशन लेने के लिए ऑफर देंगे.

क्यों टूटा युवाओं का भरोसा?
विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके पीछे कई कारण हैं. सबसे पहले, इंजीनियरिंग के बाद रोजगार के अवसर पहले जैसे मजबूत नहीं रहे. कई पासआउट स्टूडेंट्स को सालों नौकरी नहीं मिलती, जिससे नए छात्रों का उत्साह टूट गया. साथ ही, IT और मैनेजमेंट जैसे दूसरे क्षेत्रों में करियर के अधिक मौके दिखने लगे हैं.

कई कॉलेजों के सामने संकट
छात्रों की कमी का असर सीधे कॉलेजों के अस्तित्व पर पड़ रहा है. खासकर प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों को संचालन में दिक्कत हो रही है. अगर यह स्थिति जारी रही तो आने वाले वर्षों में कई कॉलेज बंद भी हो सकते हैं.

सरकार और कॉलेजों की रणनीति
सरकार और कॉलेज प्रबंधन अब नए कोर्स, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम और इंडस्ट्री पार्टनरशिप पर काम कर रहे हैं ताकि छात्र वापस आकर्षित हों. ऑनलाइन और हाइब्रिड क्लासेस के साथ प्लेसमेंट ड्राइव पर भी जोर दिया जा रहा है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button