Quit India Movement: क्या है भारत छोड़ो आंदोलन, PM मोदी किस क्विट इंडिया की बात कर रहे, इसके पीछे सियासत क्या?

Quit India Movement: क्या है भारत छोड़ो आंदोलन, PM मोदी किस क्विट इंडिया की बात कर रहे, इसके पीछे सियासत क्या?

आज भारत छोड़ो आंदोलन यानी क्विट इंडिया मूवमेंट के 81 साल पूरे हो गए हैं। नौ अगस्त, 1942 को अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। इस बीच देश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा एक अभियान शुरू करने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को याद करते हुए भारत से भ्रष्टाचार, वंशवाद और तुष्टिकरण को खत्म करने का आव्हान किया।आखिर भारत छोड़ो आंदोलन क्या है? यह कब शुरू हुआ और इसका नतीजा क्या हुआ? अब पीएम मोदी किस क्विट इंडिया मूवमेंट की बात कर रहे हैं? इसके सियासी मायने क्या हैं? 2024 चुनाव में इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं? आइये जानते हैं…भारत छोड़ो आंदोलन क्या है?
भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए तमाम छोटे-बड़े आंदोलन हुए। अंग्रेजी सत्ता को भारत की जमीन से उखाड़ फेंकने के लिए गांधी जी के नेतृत्व में जो अंतिम लड़ाई लड़ी गई उसे ‘अगस्त क्रांति’ के नाम से जाना गया। इस लड़ाई में गांधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा देकर अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए पूरे भारत के युवाओं का आह्वान किया था। यही वजह है कि इसे ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ या क्विट इंडिया मूवमेंट भी कहते हैं। इस आंदोलन की शुरुआत नौ अगस्त 1942 को हुई थी, इसलिए इसे अगस्त क्रांति भी कहते हैं। इस आंदोलन की शुरुआत मुंबई के एक पार्क से हुई थी जिसे अगस्त क्रांति मैदान नाम दिया गया।

नौ अगस्त 1942 को इस क्रांति का एलान किया गया जिसके कारण नौ अगस्त को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके पीछे का इतिहास है कि चार जुलाई 1942 के दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित किया कि अगर अंग्रेज अब भारत नहीं छोड़ते हैं तो उनके खिलाफ देशव्यापी पैमाने पर नागरिक अवज्ञा आंदोलन चलाया जाएगा।आंदोलन का असर क्या हुआ?
आंदोलन का एलान होने के साथ ही ब्रिटिश सरकार सक्रिय हो गई। कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। देशभर में कांग्रेस कार्यालयों पर छापे मारे गए। अंग्रेजों ने गांधीजी को कैद करके इन आंदोलन को दबाने की कोशिश की। पार्टी की कार्यसमिति के सभी सदस्यों को भी जेल में डाल दिया गया। प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के कारण युवा चेहरे अरुणा आसफ अली ने नौ अगस्त को एआईसीसी सत्र की अध्यक्षता की और झंडा फहराया लेकिन बाद में कांग्रेस पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इन कार्रवाइयों से अंग्रेज भले ही आंदोलन को दबाना चाह रहे थे लेकिन इसने देश में लोगों के बीच आंदोलन के प्रति सहानुभूति पैदा की। प्रत्यक्ष नेतृत्व की कमी के बावजूद, पूरे देश में बड़े विरोध और प्रदर्शन हुए। सरकारी कर्मचारियों के बड़े समूहों ने हड़तालें बुलाईं।

एक लाख से अधिक गिरफ्तारियां की गईं, बड़े पैमाने पर जुर्माना लगाया गया और प्रदर्शनकारियों को सरेराह कोड़े मारे गए। हिंसा में सैकड़ों नागरिक मारे गए। कई राष्ट्रीय नेता भूमिगत हो गए और गुप्त रेडियो स्टेशनों पर संदेश प्रसारित करके, पर्चे बांटकर और समानांतर सरकारें स्थापित करके अपना संघर्ष जारी रखा। कांग्रेस नेतृत्व ने तीन वर्षों से अधिक समय जेल में काटा। कुछ ही महीनों में महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी और उनके निजी सचिव महादेव देसाई की मृत्यु हो गई और उनका स्वास्थ्य खराब हो रहा था। इसके बावजूद महात्मा गांधी ने 21 दिन का उपवास रखा और निरंतर प्रतिरोध के अपने संकल्प को बनाए रखा। 1944 में अंग्रेजों ने गांधीजी को उनके स्वास्थ्य के कारण रिहा कर दिया, लेकिन उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व की रिहाई की मांग करते हुए प्रतिरोध जारी रखा।

1945 में, जब द्वितीय विश्व युद्ध लगभग समाप्त हो गया था, ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने भारत को स्वतंत्रता प्रदान करने के वादे के साथ चुनाव जीता। आखिरकार आंदोलन से सहमी ब्रिटिश हुकूमत ने जेल में बंद राजनीतिक कैदियों को 1945 में रिहा कर दिया। अब पीएम मोदी किस क्विट इंडिया मूवमेंट की बात कर रहे हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को याद करते हुए कहा कि भारत अब भ्रष्टाचार, वंशवाद और तुष्टिकरण के खिलाफ एक स्वर में बोल रहा है। भाजपा सांसदों के साथ बैठक करने के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के खिलाफ वे सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाएं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने वाले महान लोगों को श्रद्धांजलि। गांधी जी के नेतृत्व में इस आंदोलन ने भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराने में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, आज भारत एक स्वर में कह रहा है: भ्रष्टाचार भारत छोड़ो। वंशवाद भारत छोड़ो। तुष्टिकरण भारत छोड़ो।

पीएम मोदी ने कहा, ‘आज हमारे सामने विकसित भारत के निर्माण का स्वप्न और संकल्प है। इसके सामने कुछ बुराइयां रोड़ा बनी हुई हैं। भारत में समाईं ये बुराइयां देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है, बहुत बड़ी चुनौती है। मुझे विश्वास है हम सभी अपने प्रयास से इन बुराइयों को खत्म करेंगे, परास्त करेंगे और फिर भारत की विजय होगी, देश की विजय होगी, हर देशवासी की विजय होगी।इस पर कांग्रेस का क्या कहना है?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विपक्ष पर ‘भारत छोड़ो’ वाले तंज को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार किया है। बीते रविवार को खरगे ने कहा कि यह ‘हमारी जीत’ है कि जिन लोगों को 75 साल तक ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ याद नहीं था, वे अब ऐसा कर रहे हैं।

खरगे ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी, पिछले 10 वर्षों से आपने केवल विभाजनकारी नकारात्मक राजनीति की है। अब आप I.N.D.I.A के लिए भी कड़वे शब्द बोल रहे हैं। आपके राजनीतिक पूर्वजों ने भारतीय को भारतीयों के खिलाफ खड़ा किया, अंग्रेजी हुकूमत का साथ दिया, मुखबिरी की और ‘भारत छोड़ो’ का कड़ा विरोध किया। जो 75 सालों नहीं याद आया वो ‘भारत छोड़ो’ अब याद आ रहा है। यही हमारी जीत है। भारत जुड़ेगा, I.N.D.I.A जीतेगा!’

इसके पीछे की सियासत क्या है?
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुद्दों को तय करने में लगे हैं। पीएम मोदी भ्रष्टाचार और परिवारवाद पर लगातार हमलावर रहे हैं। भाजपा मौजूदा इंडिया गठबंधन को भ्रष्टाचारियों और परिवारवादियों का जमावड़ा कहती है। इस गठबंधन में शामिल पार्टियों को भाजपा तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली पार्टियों का भी गठबंधन कहती है। ऐसे में पीएम मोदी का यह आह्वान एक तरह से विपक्षी गठबंधन पर सीधा हमला है।

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