बीते कई दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है कि नोएडा की जमीन के नीचे भूकंप का एक केंद्र बना हो। बुधवार की रात नौ बजे के करीब बहुत कम तीव्रता के आए भूकंप का एपीसेंटर यानी भूकंप का केंद्र नोएडा का सेक्टर 128 था। भूगर्भशास्त्रियों के मुताबिक उनके संज्ञान में नोएडा के एपी सेंटर होने की जानकारी बीते कई सालों में पहली दफा सामने आई है। उनका कहना है कि नोएडा समेत समूचा दिल्ली एनसीआर और आसपास का पूरा इलाका सीस्मिक जोन 4 मे आता है। क्योंकि बीते कुछ महीनो से लगातार अलग-अलग इलाकों में होने वाले भूकंप से दिल्ली एनसीआर की धरती हिल रही है। इसलिए भले ही 1.5 तीव्रता का भूकंप आया हो लेकिन चिंता और हैरानी की बात यही है कि या नोएडा की जमीन के नीचे मची हलचल से आया है। दरअसल चिंता हैरानी की बात इसलिए भी ज्यादा है कि अगर नोएडा की जमीन के नीचे कुछ बड़ी हलचल होती है तो यहां की ऊंची ऊंची इमारतें उन सबको झेलने की क्षमता नहीं रखती हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसको कहते हैं पूर्वाघात…
बुधवार की रात नौ बजे के करीब नोएडा और आसपास के इलाकों में भूकंप आया। कहने को तो भूकंप की तीव्रता महज 1.5 थी। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और चौंकाने वाली बात यह थी कि भूकंप का केंद्र बिंदु कहीं और नहीं बल्कि नोएडा के सेक्टर 128 के नीचे की जमीन थी। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अन्ना. बी स्वामी कहते हैं कि भूकंप के झटकों की तीव्रता को अलग-अलग तौर पर वर्गीकृत किया जाता है। क्योंकि नोएडा और दिल्ली भूकंप के लिहाज से खतरनाक जोन में आते हैं। इसलिए कम तीव्रता वाले भूकंप के एपीसेंटर होने की वजह से इसको पूर्वाघात की श्रेणी में शामिल किया जाता है। उनका कहना है कि इस श्रेणी में आने वाले भूकंप का मतलब किसी बड़े भूकंप की आहट नहीं होती है लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह बड़े भूकंप की चेतावनी नहीं है। क्योंकि दिल्ली और नोएडा खतरनाक जोन की श्रेणी में आते हैं। इसलिए पूर्वघात को मॉनिटर करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सिस्मिक जोन-4 में आने वाली राजधानी दिल्ली भूकंप के बड़े झटके से खासा प्रभावित हो सकती है। वरिष्ठ भूवैज्ञानिक और जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के पूर्व उपनिदेशक डॉक्टर एसएन चंदेल का कहना है सीस्मिक जोन 4 में आने वाले भूकंप की तीव्रता 7 मैग्नीट्यूड के करीब की हो सकती है। क्योंकि दिल्ली एनसीआर इसी जोन में आता है। ऐसे में अगर इतनी तीव्रता के भूकंप का केंद्र इसी इलाके की जमीन के नीचे होता है तो यह बहुत खतरनाक और बड़ी भीषण स्थिति हो सकती है। वरिष्ठ भू वैज्ञानिकों का मानना है कि बुधवार को नोएडा के नीचे बनने वाले भूकंप के केंद्र को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी कम तीव्रता के भूकंप रोजाना हजारों की संख्या में देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आते हैं, जिनको की महसूस भी नहीं किया जा सकता है।यह कहती है वीसीआई की रिपोर्ट…
दिल्ली और एनसीआर में बीते कुछ सालों में आए भूकंप के बाद यहां की इमारतों की मजबूती को जांचने के लिए वल्नेबरिलिटी काउंसिल आफ इंडिया ने एक रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट को तैयार करने में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर की हर ऊंची इमारतें असुरक्षित नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यहां सात की तीव्रता वाला भूकंप आया तो दिल्ली की कई सारी इमारतें और घर रेत की तरह बिखर जाएंगे। इन इमारतों में निर्माण सामग्री ऐसी है जो भूकंप के झटकों का सामना करने में पूरी तरह से सक्षम ही नहीं हैं। काउंसिल की रिपोर्ट को बिल्डिंग मटेरियल एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन काउंसिल ने प्रकाशित भी किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक कम तीव्रता के भूकंप में दिल्ली एनसीआर की हर इमारत दरक जाएगी, यह कहना उचित नहीं है। लेकिन बिल्डिंग मटेरियल की कमजोरी के चलते यह इमारते हैं रिस्क जोन में तो आ ही जाती हैं।