दिल्ली में शुरू हुई जी 20 की बैठक में चीन ने अपनी कूटनीतिक मामलों में अब तक की सबसे बड़ी गलती कर दी। इस गलती के चलते अब चीन का अफ्रीकन यूनियन के 55 देश में न सिर्फ विश्वास का संकट पैदा होगा बल्कि उसके निवेश के अरबों डॉलर पर भी बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है जब जी 20 समूह में अफ्रीका के 55 देश को शामिल किया जा रहा था तो चीन के राष्ट्रपति की गैरमौजूदगी दुनिया के उस बड़े भूभाग के 55 देशों में चीन की अहमियत तो बता ही रही थी बल्कि इसका एक बड़ा नकारात्मक संदेश भी जा रहा था। फिलहाल भारत की पहल पर जी 20 में शामिल किए गए अफ्रीकन यूनियन से देश ने एक बड़ी डिप्लोमेटिक राह अफ्रीका के देशों में मजबूत की है।
ऐसे खोया बड़े मौके पर चीन ने विश्वास
G20 के लिए तैयार किया गया भारत मंडपम आखिरकार उस बड़े ऐतिहासिक पल का गवाह बन गया जिसके लिए दुनिया के बीस ताकतवर देश और उन देशों के समूह का प्रतिनिधित्व मोदी के समर्थन में हां कर रहा था। भारतीय विदेश सेवा से जुड़ी रही डॉक्टर सुधा अग्रहरि कहती हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में अफ्रीकन यूनियन को जी20 में शामिल किया जाना भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जाना चाहिए।
G20 के लिए तैयार किया गया भारत मंडपम आखिरकार उस बड़े ऐतिहासिक पल का गवाह बन गया जिसके लिए दुनिया के बीस ताकतवर देश और उन देशों के समूह का प्रतिनिधित्व मोदी के समर्थन में हां कर रहा था। भारतीय विदेश सेवा से जुड़ी रही डॉक्टर सुधा अग्रहरि कहती हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में अफ्रीकन यूनियन को जी20 में शामिल किया जाना भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जाना चाहिए।
उनका कहना है कि इसमें चीन की एक बड़ी कूटनीतिक हार भी दिख रही है। वह कहती है कि दरअसल चीन अपने भारी निवेश के चलते अफ्रीकन यूनियन को जी 20 में शामिल तो करना चाहता था लेकिन जब बारी शामिल करने की सहमति के तौर पर आई तो उसे पल के गवाह चीनी राष्ट्रपति नहीं बने। और यही वह मौका था जिसमें भारत में अफ्रीकन यूनियन के देशों में न सिर्फ अपना विश्वास हासिल किया बल्कि एक बड़ी डिप्लोमेटिक जीत भी हासिल कर ली।