जी 20 समिट में ‘नई दिल्ली घोषणा पत्र’ पर सभी देशों की सहमति प्राप्त करना भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। लेकिन साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि सहमति प्राप्त करने के लिए भारत ने कई अहम मुद्दों पर अपना रुख नरम कर लिया। इसमें यूक्रेन के मामले पर रूस के प्रति कठोर शब्दों से बचना भी शामिल है। रूस-यूक्रेन युद्ध मामले में शांति स्थापित करने के लिए भारत की ओर बड़ी उम्मीदों से देखने वाले यूक्रेन ने भी इस पर निराशा जताई है। यूक्रेन में विपक्षी पार्टी की सांसद यूलिया क्लीमेंको ने अमर उजाला से बात करते हुए कहा कि इस युद्ध के कारण हो रही जनहानि को देखते हुए रूस पर कठोर रुख अपनाया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यदि यूक्रेन को भी जी 20 समिट में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया होता तो हम बैठक में अपना पक्ष बेहतर ढंग से रख सकते थे।
माना जा रहा है कि रूस के साथ अपने लंबे ऐतिहासिक संबंधों के कारण भारत ने घोषणा पत्र में शब्दावली को लेकर काफी सतर्कता बरती। जबकि पिछले वर्ष बाली में नवंबर 2022 में हुई जी 20 की बैठक में रूस के विरुद्ध कड़े शब्दों का उपयोग किया गया था। घोषणा पत्र पर सबकी सहमति प्राप्त किए जाने के बाद एक प्रेस वार्ता में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, बाली बाली था, और नई दिल्ली नई दिल्ली। उनके अनुसार बाली में हुई घोषणा (रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में) उस समय की परिस्थितियों पर आधारित थी, जबकि नई दिल्ली घोषणा पत्र आज की स्थिति पर आधारित है। एस. जयशंकर के इन शब्दों का यह अर्थ निकाला जा रहा है कि रूस युद्ध आज कमजोर पड़ गया है, जबकि इस समय रूस यूक्रेन पर नए तरीके से आक्रमण करने की रणनीति अपना रहा है। इसमें परमाणु हमले का खतरा भी शामिल है।
यूक्रेन के बिना हुई यूक्रेन की बात
यूक्रेनी सांसद यूलिया क्लीमेंको ने अमर उजाला से कहा कि यूक्रेन की बात यूक्रेन के बिना ही कर दी गई। जबकि इस समय युद्ध की असली स्थिति क्या है, यह हम ज्यादा और सटीक तरीके से बता सकते हैं, लेकिन हमारी बात सुने बिना ही जी 20 ने इस पर अपना मत व्यक्त कर दिया।
जी 20 में होते तो मजबूती से रखते अपनी बात
यूलिया ने कहा कि जी 20 की इस शीर्ष स्तरीय बैठक में यूक्रेन को न बुलाया जाना दुखद है। यदि हमें इस बैठक में बुलाया गया होता तो हम अपनी बात ज्यादा मजबूती के साथ रखते। विशेषकर जब इस बैठक में रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने न आने की स्पष्ट जानकारी दे दी थी, यूक्रेन को बुलाने पर कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए थी। इसे (यूक्रेन को जी 20 में न बुलाने को) बहुत अच्छा कूटनीतिक कदम नहीं कहा जा सकता।
चर्चा है कि नई दिल्ली घोषणा पत्र के मसौदे पर अंतिम रूप से सर्वानुमति बनाने के लिए हरियाणा में 3 सितंबर को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। इसमें शुरूआती दौर में कुछ सदस्य देशों के द्वारा कुछ मुद्दों पर अपनी आपत्तियां जाहिर की गई थी। इसके बाद इसे संशोधित रूप में पेश किया गया जिसे सर्वानुमति से स्वीकार कर लिया गया। इसमें यूक्रेन मामले पर रूस के रुख का मुद्दा भी शामिल था।