आपराधिक मामलों में दो साल या इससे अधिक सजा पाने वाले सांसदों-विधायकों की सदन से सदस्यता छिनने का खतरा होता है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद फैजल पर भी ये तलवार लटक रही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद फैजल को से बड़ी राहत मिली है। हत्या की कोशिश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। निचली अदालत से 10 महीने पहले मिली सजा के कारण फैजल की सांसदी पर सवालिया निशान लगे हैं, लेकिन अब कोर्ट से मिली राहत के बाद उनका लोक सभा सांसद का दर्जा दोबारा बहाल हो सकता है।पूर्व सांसद के खिलाफ आपराधिक मामले में आदेश अहम
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें हत्या के प्रयास के मामले में फैजल को राहत नहीं मिली थी। केरल हाईकोर्ट ने फैजल की सजा को निलंबित करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूर्व सांसद के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले में अहम माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि दूसरी बार लोकसभा सांसद के रूप में उनकी अयोग्यता रद्द हो सकती है। इसका मतलब राकांपा नेता मोहम्मद फैजल संसद सदस्य बने रह सकते हैं।फैजल दो बार अयोग्यता की कार्रवाई का सामना कर चुके हैं
गौरतलब है कि केरल उच्च न्यायालय के 3 अक्टूबर के आदेश के बाद अगले ही दिन बुधवार (4 अक्टूबर) को फैजल को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। संसद में लक्षद्वीप के जनप्रतिनिधि के तौर पर निर्वाचित होकर पहुंचे फैज़ल को इस साल दो बार सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किया जा चुका है।किन जजों की खंडपीठ से मिली पूर्व सांसद फैजल को राहत
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने कहा, अदातल केरल उच्च न्यायालय के 3 अक्टूबर, 2023 के विवादित आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगाती है। याचिकाकर्ता के पक्ष में इस अदालत (सुप्रीम कोर्ट) से पारित अंतरिम आदेश लागू किया जाता है। जस्टिस रॉय और न्यायमूर्ति संजय करोल ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया।हाईकोर्ट में नए सिरे से सुनवाई का निर्देश
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को सांसद के रूप में फैजल के दर्जे को अस्थायी रूप से सुरक्षित रखा था। शीर्ष अदालत ने हत्या की कोशिश के इस आपराधिक मामले में कहा था कि केरल उच्च न्यायालय नए सिरे से केस की सुनवाई करेगा। केंद्र शासित प्रदेश को चार हफ्ते में देना है जवाब
हालांकि, फैजल के खिलाफ जारी आपराधिक मामले में लक्षद्वीप प्रशासन की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नटराज ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाए जाने का विरोध किया। पीठ ने उनकी दलीलों को सुनने के बाद लक्षद्वीप यूटी प्रशासन को भी नोटिस जारी किया। अदालत के आदेश के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में लक्षद्वीप केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करना है।केरल हाईकोर्ट का फैसला
गौरतलब है कि फैजल ने हत्या के प्रयास के मामले में दोषी करार दिए जाने के फैसले को निलंबित करने की याचिका खारिज होने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। भले ही फैजल को राहत नहीं मिली थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने फैजल और तीन अन्य आरोपियों को सुनाई गई 10 साल की सजा को निलंबित कर दिया था।10 महीने पहले छिनी सांसदी !
सांसदी छिनने पर लोकसभा सचिवालय से जारी बयान में कहा गया था कि लक्षद्वीप संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद मोहम्मद पीपी फैजल को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जाता है। आदेश उनकी सजा की तारीख, यानी 11 जनवरी, 2023 से प्रभावी होगा।14 साल पुराना मामला, निचली अदालत में दोषी पाए गए फैजल
गौरतलब है कि लक्षद्वीप की एक सत्र अदालत ने 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान हत्या के प्रयास मामले में इसी साल 11 जनवरी को फैजल और तीन अन्य को दोषी करार दिया था। दिवंगत केंद्रीय मंत्री पीएम सईद के दामाद मोहम्मद सलीह की मौत मामले में जांच कर रही पुलिस ने हत्या की बात कही। जांच के बाद इस मामले में पुलिस ने पूर्व सांसद को गंभीर धाराओं के तहत आरोपी बनाया।
