Shahid Latif: मारा गया पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड आतंकी शाहिद लतीफ, पाकिस्तान में गोली मारकर की गई हत्या

Shahid Latif: मारा गया पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड आतंकी शाहिद लतीफ, पाकिस्तान में गोली मारकर की गई हत्या

पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड और भारत का मोस्ट वांटेड आतंकी शाहिद लतीफ की पाकिस्तान में हत्या कर दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, अज्ञात हमलावरों ने पाकिस्तान के प्रांत पंजाब के शहर सियालकोट की एक मस्जिद में उसकी गोली मारकर हत्या कर दी है। सूत्रों के अनुसार, 41 साल के लतीफ के जम्मू-कश्मीर के कई आतंकियों से कनेक्शन थे। उसने केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवादियों संगठनों के साथ मिलकर कई हमलों को अंजाम दिया था। माना जाता है कि लतीफ जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर था। इन साजिशों में था शामिल
दो जनवरी, 2016 को जैश के आतंकियों ने पठानकोट में एयरबेस पर हमला कर दिया था। इसमें सात जवान शहीद हो गए थे। तीन दिन तक कॉम्बिंग ऑपरेशन चला था। शाहिद लतीफ आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का एक प्रमुख सदस्य था। उसने ही चारों आतंकवादियों को पठानकोट भेजा था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में पाया गया था कि हमले को अंजाम देने के लिए भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के मास्टरमाइंड और आका सभी पाकिस्तान में स्थित थे। वहीं, लतीफ पर उन आतंकियों में भी शामिल होने का आरोप है, जिन्होंने 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान को अगवा किया था।भारत में गिरफ्तार हो चुका शाहिद लतीफ
लतीफ को नवंबर 1994 में भारत में गिरफ्तार किया गया था और मुकदमा चलाया गया था। भारत में सजा पूरी होने के बाद 2010 में उसे पाकिस्तान भेज दिया गया था। एनआईए के मुताबिक, भारत से निकाले जाने के बाद शाहिद लतीफ वापस पाकिस्तान की जिहादी आतंकियों के साथ मिल गया था। उसने पठानकोट आतंकी हमले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मोर गांव का रहने वाला लतीफ
शाहिद लतीफ पाकिस्तान के गुजरांवाला के अमीनाबाद कस्बे के मोर गांव का रहने वाला था। शाहिद लतीफ को जैश के लॉन्चिंग कमांडर के तौर पर जाना जाता है।ऐसे किया था पठानकोट में हमला
एयरबेस पर यह हमला 2016 को हुआ था। भारतीय सेना की वर्दी में आए हथियारबंद आतंकियों ने इसे अंजाम दिया था। वे सभी भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर रावी नदी के रास्ते आए थे। भारतीय इलाके में पहुंचकर आतंकियों ने कुछ गाड़ियां हाईजैक कीं और पठानकोट एयरबेस की ओर बढ़ गए। बाद में, कैंपस की दीवार कूदकर, लंबी घास से होते हुए उस जगह पहुंचे, जहां सैनिक रहते थे। यहां उनका पहला सामना सैनिकों से हुआ। फायरिंग में चार हमलावर मारे गए और तीन जवान शहीद हो गए। अगले दिन एक आईईडी धमाके में चार और भारतीय सैनिक शहीद हुए। सुरक्षाबलों को यह पक्का करने में तीन दिन लग गए कि हालात पूरी तरह उनके काबू में हैं।

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