Exclusive: 20000 लोग रोज आते थे गाजा से इस्राइल नौकरी करने, हमास ने इन्हें ही बनाया अपना सबसे बड़ा जासूस!

Exclusive: 20000 लोग रोज आते थे गाजा से इस्राइल नौकरी करने, हमास ने इन्हें ही बनाया अपना सबसे बड़ा जासूस!

इस्राइल के बॉर्डर पर गाजा पट्टी से कुछ मिनट की दूरी पर एक गांव है ‘कफर आजा’। इस्राइल के बॉर्डर पर यह कई समृद्ध गांवों की तरह एक प्रमुख इलाका है। इस इलाके के मिओजमुल आजा, साद, मेवकिन जैसे कई इलाकों में काम करने वालों की सबसे बड़ी तादाद गजा पट्टी के वह लोग थे, जो रोजी-रोटी कमाने के लिए सीमा पार से इस्राइल में आते थे। जानकारी के मुताबिक गाजा पट्टी से इस्राइल में औसतन 20 हजार लोग रोजाना रोजी रोटी कमाने और अपने अन्य काम के सिलसिले में इस्राइल आते थे। तकरीबन बीते डेढ़ दशक से गाजा पट्टी एक तरह से इस्राइल के हाथ में ही थी, इसलिए इनका आना-जाना सरकारी दस्तावेजो और कायदे कानून के तहत वैध था। खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक इस्राइल में हमास ने जो सबसे बड़ा हमला किया है, उसमें गाजा पट्टी से इस्राइल आने जाने वाले ऐसे लोगों को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया। क्योंकि इन आने जाने वाले लोगों में से कई लोग हमास के खुफिया एजेंट भी थे और अंदर की सारी जानकारियां एकत्र कर हमले की बड़ी रूपरेखा तैयार करने में मदद भी कर रहे थे।जानकारी के मुताबिक बीते तकरीबन डेढ़ दशक से गाजा पट्टी की प्रमुख व्यवस्थाएं और अर्थव्यवस्थाएं इस्राइल के हाथ में ही थी। यही वजह है कि तमाम विवादों के बाद भी गाजा के लोग अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए इस्राइल में अनुमति लेकर रोजाना आते जाते थे। गाजा से इस्राइल आने वाले लोगों में वहां के लेबर क्लास के साथ-साथ घरों में काम करने वाले और छोटे-मोटे व्यापार करने वाले लोग शामिल थे। विदेशी मामलों के जानकार ले. कर्नल सुरेंद्र आहुजा कहते हैं कि इस्राइल और गाजा पट्टी में तनाव भले ही कितना हो, लेकिन इस्राइल इस बात को भलीभांति जानता था कि गाजा पट्टी के लोगों को विश्वास में लेकर अपने खुफिया तंत्र को भी वहां मजबूत करने का यह एक बहुत बड़ा जरिया था। यही वजह थी कि वहां के लोगों को इस्राइल में आने की और यहां पर काम करने की अनुमति भी थी। जानकारी के मुताबिक जो लोग इस्राइल के हिस्सों में काम करने आते थे, वह सुबह आकर शाम को वापस भी लौट जाते थे। जबकि कुछ लोग विशेष अनुमति के साथ एक तय समय सीमा में रहकर वापस चले जाते थे।इस्राइल और गाजा पट्टी के बॉर्डर की सीमा से इस्राइल में आने वाले लोगों के आंकड़ों के मुताबिक औसतन 20000 लोग रोज इस्राइल के अलग-अलग शहरों, गांवों और इलाकों में आते थे। खुफिया एजेंसी और रक्षा मामलों से जुड़े लोगों का मानना है कि इन 20 हजार लोगों में से आने वाले कई लोग हमास के खुफिया एजेंट भी होते थे। क्योंकि यह लोग अनुमति के साथ आते थे। यह व्यवस्था बीते कई सालों से लगातार चल रही थी। इसलिए सामान्य प्रक्रिया के तहत इन लोगों को बेरोकटोक अपने आवश्यक दस्तावेज दिखाने के साथ इस्राइल में एंट्री दे दी जाती थी। जानकारी के मुताबिक यह वह लोग होते हैं, जो इस्राइल के लोगों के घरों में भी काम करते थे। उसके बाद उनके अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों से लेकर कई जगहों पर मदद में हाथ बंटाते थे। रक्षा मामलों से जुड़े जानकार और देश की प्रमुख खुफिया एजेंसी में काम कर चुके एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि इस्राइल इसी मामले में सबसे बड़ी चूक कर गया। उनका कहना है कि जो लोग गाजा से इस्राइल लगातार आते थे, उनमें से कई ऐसे लोग थे जिनको हमास ने अपना एजेंट बनाकर इस्राइल के इलाकों में भेजना शुरू किया था।

खुफिया एजेंसी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि वैसे तो यह लोग लगातार इस्राइल आते-जाते रहते रहते थे, लेकिन जब हमास ने बड़े हमले की योजना बनाई, तो इनका इस्तेमाल बतौर खुफिया एजेंट करना शुरू कर दिया। जानकारी के मुताबिक इन 20000 लोगों में से रोजाना कुछ लोग ऐसे फलीस्तीन के नागरिक होते थे, जो हमास के लिए काम करते थे और यहां के गांव समेत आसपास के शहरों में जानकारियां एकत्र करके हमास के आतंकियों को देते थे। इन्हीं जानकारी के आधार पर हमास ने न सिर्फ यहां के गांव के भीतर घरों में बने बंकरों और अन्य अंदरूनी जानकारी को इकट्ठा किया, बल्कि सटीक हमला करके इस्राइल में बड़ा नरसंहार करना शुरू कर दिया। केंद्रीय खुफिया एजेंसी में काम कर चुके एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि क्योंकि गाज़ा से आने जाने वालों की यह प्रक्रिया बीते कई सालों से चल रही थी। इसलिए इस्राइल ने इन पर बहुत ज्यादा शक भी नहीं किया। यही लोग हमास के सबसे बड़े खुफिया नेटवर्क का हिस्सा बनकर इस्राइल में आते और यहां की पूरी जानकारियां उनको साझा करते थे।

देश के पूर्व विदेश सचिव अमरेंद्र कठुआ कहते हैं कि बीते तकरीबन डेढ़ दशक से इस्राइल में गाजा पट्टी के लोग अनुमति लेकर आते जाते रहते हैं। ये वे लोग हैं जो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए काम करने आते थे। उनका कहना है कि निश्चित तौर पर जब इतना बड़ा हमला हमास ने किया, तो गाजा से इस्राइल आने जाने वाले लोगों पर शक करना लाजिमी भी है। पूर्व विदेश सचिव कहते हैं कि अगर आने जाने वालों में से दस से बीस लोग भी रोजाना इस्राइल की खुफिया जानकारी इकट्ठा करके हमास को देते रहे होंगे, तो बड़े हमले की भूमिका में निश्चित तौर पर आसानी ही रही होगी। हालांकि वह कहते हैं जब इस तरीके की बड़ी खुफिया विफलता होती हैं, तो जांच एजेंसियां अंदरूनी तौर पर उसका अध्ययन भी करती हैं। चूंकि इस वक्त इस्राइल और गाजा के बीच में जबरदस्त युद्ध चल रहा है। इसलिए यह कहना कि सरकार ने अंदरूनी तौर पर इस नाकामी के लिए जांच नहीं बिठाई होगी, यह मुश्किल है। लेकिन युद्ध की घड़ी में उनकी प्राथमिकता अपनी कमियों को मजबूती से दुरुस्त करने के साथ-साथ दुश्मन पर हमला करना शामिल है।

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