18 साल में ज्यादा समय तक भारतीय जनता पार्टी और बाकी समय राष्ट्रीय जनता दल-कांग्रेस के साथ मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार की सरकार ने मंगलवार को इतिहास रच दिया। देश में पहली बार जाति आधारित जनगणना कराने के बाद जाति आधारित आर्थिक सर्वेक्षण भी पहली बार ही पेश किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में यह रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 2 करोड़ 76 लाख 68 हजार 930 परिवारों में से 34.13 प्रतिशत, यानी 94 लाख 42 हजार 786 परिवार गरीब हैं। इनमें मुख्य रूप से पांच कोटियां हैं, जिनमें अनुसूचित जातियों के गरीब परिवार सबसे ज्यादा 42.93 प्रतिशत हैं, जबकि सामान्य वर्ग के गरीब परिवार सबसे कम होकर भी 25.09 फीसदी हैं।कोटिवार गरीब परिवारों में अनुसूचित जाति आगे
02 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी की थी। उसी रिपोर्ट से जुड़ा यह आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी किया गया है। जैसे उस रिपोर्ट में लगभग हरेक आदमी की गणना का दावा देखते हुए उसे जनगणना माना गया, उसी तरह इसे वास्तविक स्थिति ही माना जाना चाहिए। इस हिसाब से इस रिपोर्ट को देखें तो बिहार में सबसे ज्यादा 98 लाख 84 हजार 904 परिवार अत्यंत पिछड़ी जातियों के हैं, जिनमें 33.58 प्रतिशत यानी 33 लाख 19 हजार 509 परिवार गरीब हैं। परिवार की संख्या के हिसाब से दूसरे नंबर पर पिछड़ा वर्ग हैं। पिछड़ा वर्ग के राज्य में 74 लाख 73 हजार 529 परिवार हैं, जिनमें 33.16 प्रतिशत यानी 24 लाख 77 हजार 970 परिवार गरीब हैं। तीसरे नंबर पर अनुसूचित जातियों के परिवार की संख्या है। राज्य में अनुसूचित जाति के 54 लाख 72 हजार 024 परिवार हैं, जिनमें 42.93 प्रतिशत यानी 23 लाख 49 हजार 111 परिवार गरीब हैं
सामान्य वर्ग के परिवारों में एक चौथाई गरीब
सरकार की ओर से कोटिवार आर्थिक रूप से गरीब परिवारों की जो संख्या जारी की गई है, उसमें सामान्य वर्ग के एक चौथाई परिवार गरीब दिख रहे हैं। सामान्य वर्ग के परिवारों की कुल संख्या 42 लाख 28 हजार 282 है, जिनमें 25.09 प्रतिशत परिवार गरीब हैं। यानी, 10 लाख 85 हजार 913 परिवार सामान्य वर्ग में होकर भी गरीब हैं। पांच प्रमुख कोटियों के अलावा, इस रिपोर्ट में ‘अन्य प्रतिवेदित जातियों’ का एक कॉलम रखा गया है, जिनके परिवार की कुल संख्या 39 हजार 935 बताई गई है। इनमें 23.72 प्रतिशत, यानी 9474 परिवार गरीब हैं।
