अमेरिकी रक्षा मंत्री का बड़ा बयान: भारत को जल्द मिलेगा MQ-9B ड्रोन, राजनाथ बोले-रणनीतिक मुद्दों दोनों देश सहमत

अमेरिकी रक्षा मंत्री का बड़ा बयान: भारत को जल्द मिलेगा MQ-9B ड्रोन, राजनाथ बोले-रणनीतिक मुद्दों दोनों देश सहमत

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी समकक्ष लॉयड ऑस्टिन के साथ कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए भारत, अमेरिका के बीच रणनीतिक मुद्दों पर सहमति बढ़ रही है। टू प्लस टू डायलॉग के पांचवें संस्करण के दौरान भारत के साथ बातचीत के बाद  ऑस्टिन ने कहा, भारत को ड्रोन क्षमता जल्द से जल्द मिले, इस दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है।भारत को जल्द मिलेगा एमक्यू-9बी ड्रोन
ऑस्टिन ने कहा, हमने बैठक के दौरान सुरक्षा चुनौतियों और चीन द्वारा उत्पन्न खतरे पर चर्चा की, लेकिन हमारी पूरी बातचीत केवल इसी मुद्दे पर केंद्रित नहीं रही। एमक्यू-9बी ड्रोन के संदर्भ में अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा, मुझे आज कोई नई घोषणा नहीं करनी है। हम सही समय पर इसकी घोषणा करेंगे। हम सब कुछ कर रहे हैं ताकि भारत को यह क्षमता मिले। हम एक बख्तरबंद वाहन का सह-उत्पादन करने जा रहे हैं।दोनों देशों के बड़े अधिकारियों का संवाद
गौरतलब है कि शुक्रवार को भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक शुरू हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, दोनों देशों के बीच साझेदारी “स्वतंत्र, खुले और नियमों से बंधे भारत-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण” है। बता दें कि भारत की तरफ से राजनाथ के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इसमें अमेरिकी पक्ष का नेतृत्व अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने किया।केवल चीन के बारे में नहीं बात करते भारत-अमेरिका
भारत और अमेरिका के रिश्तों पर ऑस्टिन ने कहा, हमारा रिश्ता सिर्फ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के बारे में नहीं है। दोनों देशों के संबंध कई चीजों पर आधारित हैं। रिश्ते साझा मूल्यों और लोकतंत्र पर आधारित है। हम समुद्र के अंदर और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की दुनिया में भी सहयोग कर रहे हैं।

पश्चिम एशिया में हिंसा और अमेरिकी ठिकानों पर हमले पर सख्ती
मध्य पूर्व में अमेरिकी ठिकानों पर हमलों पर एक सवाल का जवाब देते हुए अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड जे ऑस्टिन ने कहा, “हमारे लोगों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हम भविष्यवाणी नहीं कर सकते। अनुमान नहीं लगा सकते कि अमेरिका कब हमला करेगा। उन्होंने सख्त अंदाज में कहा कि अमेरिकी लक्ष्यों और लोगों पर हमले बंद होने चाहिए।

साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर भारत-अमेरिका की सेना काफी गंभीर
भारत दौरे के बारे में ऑस्टिन ने कहा, हमने कई मुद्दों पर चर्चा की लेकिन इस बैठक में साइबर सुरक्षा पर विशेष चर्चा नहीं हुई। हालांकि, साइबर सुरक्षा भारत और अमेरिका, दोनों सेनाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है।हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा
ऑस्टिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, भारत और अमेरिका रणनीतिक मुद्दों पर खुद को सहमत पाते हैं। उन्होंने कहा, इन मुद्दों में चीन की आक्रामकता का मुकाबला करना, स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करना शामिल है। राजनाथ के अनुसार, भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हैं। महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने की गंभीरता को पहचानते हुए, हमारी टीमें ठोस परिणामों पर काम कर रही हैं।
भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंध
राजनाथ सिंह ने कहा, “हम मजबूत रक्षा, औद्योगिक जुड़ाव, प्रौद्योगिकी प्रतिबंधों में ढील, सभी क्षेत्रों में लचीली आपूर्ति श्रृंखला और समुद्री सुरक्षा को आगे बढ़ाकर सहयोग के नए रास्ते तैयार कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों को नए डोमेन के लिए मार्गदर्शन करना चाहिए, जिससे सहयोग का और विस्तार हो सके। रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में रक्षा भी एक है।तत्काल वैश्विक चुनौतियों के समाधान पर फोकस
अमेरिकी रक्षा सचिव ऑस्टिन ने कहा कि भारत और अमेरिका ने पिछले साल रक्षा साझेदारी बनाने में “प्रभावशाली लाभ” हासिल किया है। उन्होंने इसे “महत्वपूर्ण” बताया कि भारत और अमेरिका विचारों का आदान-प्रदान करें, समान लक्ष्य खोजें और तत्काल वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए दोनों देशों के लोगों के लिए काम करें।
लद्दाख में गतिरोध, भारत और चीन के बीच 19 दौर की वार्ता
बता दें कि भारत और चीन पिछले तीन वर्षों से गतिरोध में हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव के कारण सभी स्तरों पर संबंध बिगड़ रहे हैं। दोनों पक्षों ने 2020 से पूर्वी लद्दाख में चीनी आक्रमण के बाद सीमा मुद्दों को संबोधित करने के लिए अब तक 19 दौर की वार्ता की है।

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