लाल डायरी की कहानी: PM मोदी ने जिस डायरी का जिक्र किया, उसमें क्या है, राजस्थान सियासत में इसकी चर्चा क्यों?

लाल डायरी की कहानी: PM मोदी ने जिस डायरी का जिक्र किया, उसमें क्या है, राजस्थान सियासत में इसकी चर्चा क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा ने राजस्थान में सियासी हलचल तेज कर दी है। पीएम मोदी ने सार्वजनिक मंच से कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार और विपक्ष के गठबंधन I.N.D.I.A पर जमकर हमला बोला। इस दौरान उन्होंने एक ‘लाल डायरी’ का जिक्र किया। कहा जा रहा है कि इस बार का राजस्थान विधानसभा चुनाव इस लाल डायरी के इर्द-गिर्द ही घूमने वाला है। ऐसे में आज हम आपको लाल डायरी की पूरी कहानी बताएंगे। कैसे इस लाल डायरी का राजस्थान की सियासत में एंट्री हुई? अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ और कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने कैसे इसे काउंटर किया? आइए जानते हैं…पहले जानिए लाल डायरी पर पीएम मोदी ने क्या कहा? 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस ने राजस्थान में सरकार चलाने के नाम पर सिर्फ लूट की दुकान चलाई है और झूठ का बाजार चलाया है। झूठ की दुकान का सबसे ताजा प्रोडक्ट है, राजस्थान की ‘लाल डायरी’। कहते हैं इस ‘लाल डायरी’ में कांग्रेस सरकार के काले कारनामे दर्ज हैं। लोग कह रहे हैं कि ‘लाल डायरी’  के पन्ने खुले तो अच्छे-अच्छे निपट जाएंगे। कांग्रेस के बड़े से बड़े नेताओं की इस ‘लाल डायरी’ का नाम सुनते ही बोलती बंद हो रही है। ये लोग भले ही मुंह पर ताला लगा लें, लेकिन ये ‘लाल डायरी’ इस चुनाव में कांग्रेस का डिब्बा गोल करने जा रही है।’

कहां से आया लाल डायरी का जिक्र?  
पिछले शुक्रवार को राजस्थान सरकार के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में अपनी ही सरकार को घेरना शुरू कर दिया। राजस्थान में न्यूनतम आय गारंटी विधेयक 2023 पर चर्चा हो रही थी। इस बीच, कांग्रेस के विधायकों ने भाजपा पर निशाना साधते हुए मणिपुर हिंसा की तख्तियां लहराने लगे। मंत्री राजेंद्र गुढ़ा भी सदन में मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने अपनी ही सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, ‘सच्चाई ये है कि हम महिलाओं की सुरक्षा में असफल हो गए और राजस्थान में जिस तरह से महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं, ऐसे में हमें मणिपुर की बजाय अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।’

गुढ़ा के तीखे हमलों से राजस्थान कांग्रेस की सरकार असहज हो गई। आनन-फानन में अशोक गहलोत ने गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। मंत्री पद से हटाए जाने के बाद गुढ़ा रोते हुए मीडिया के सामने आए। उन्होंने कहा कि मुझे सच बोलने की सजा मिली है। महिलाओं के खिलाफ अपराध में राजस्थान नंबर वन है। मैंने क्या गलत कहा? जनता मेरे साथ रहेगी और मैं उनके लिए काम करता रहूंगा। चाहे वह (अशोक गहलोत) मुझे कैबिनेट से हटाएं या जेल भेज दें। मैं जब तक जिंदा रहूंगा, बोलता रहूंगा। मैं अशोक गहलोत से इस मुद्दे पर कुछ कहना चाहता था। राज्य में पुलिस भ्रष्ट है। वे लोगों से रिश्वत लेने में व्यस्त हैं।

इसके बाद सोमवार को जब फिर विधानसभा में राजेंद्र गुढ़ा पहुंचे तो जमकर हंगामा हुआ। पहले उन्हें विधानसभा में घुसने नहीं दिया गया, बाद में किसी तरह अंदर पहुंचे तो स्पीकर के सामने उन्होंने लाल रंग की एक डायरी लहराना शुरू कर दी। इसके बाद स्पीकर सीपी जोशी ने मार्शलों को बुलाकर उन्हें बाहर करवा दिया।

अब जानिए लाल डायरी में क्या है? 
राजेंद्र गुढ़ा ने मीडिया से इसके बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने दावा किया कि इस डायरी में कांग्रेस के नेताओं के काले कारनामे की पूरी जानकारी है। किस तरह से कौन सा नेता अपने ऊपर फिल्में बनवा रहा है? राज्यसभा में कांग्रेस ने विधायकों को क्या-क्या और कैसे दिया? क्रिकेट के चुनाव में अशोक गहलोत ने किस-किसको पैसे दिए? कहां-कहां से वसूली होती है? गुढ़ा के मुताबिक, डायरी का एक हिस्सा कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों ने सदन के अंदर छीन लिया। हालांकि, दूसरा हिस्सा अभी भी गुढ़ा के पास है।

लाल डायरी को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने क्या-क्या कहा? 

भाजपा का वार 
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मैं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पूछना चाहता हूं कि यह ‘लाल डायरी’ क्या है? इसे लेकर सरकार में बेचैनी क्यों है?

कांग्रेस का पलटवार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘पीएम को लाल डायरी की बजाय लाल टमाटर और लाल सिलेंडर पर बात करनी चाहिए। लाल डायरी जैसा कुछ भी नहीं है। आने वाले समय में उनको लाल डायरी दिखा दी जाएगी।’

कौन हैं राजेंद्र सिंह गुढ़ा?
राजनीति में राजेंद्र सिंह गुढ़ा की पहली शुरुआत 2008 में हुई थी। बसपा के टिकट पर गुढ़ा ने 2008 में कांग्रेस के विजेंद्र सिंह और भाजपा के मदनलाल सैनी के खिलाफ चुनाव लड़ा। इसमें उन्होंने करीब 8 हजार वोटों से जीत हासिल की।

2008 में बसपा से चुनाव जीतने के बाद गुढ़ा ने बसपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुढ़ा को उनकी सीट उदयपुरवाटी से चुनावी मैदान में उतार दिया, लेकिन उस वक्त गुढ़ा चुनाव हार गये। इस कारण 2018 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया।

जिसके बाद फिर से गुढ़ा ने बसपा का दामन थाम लिया। बसपा ने इस बार गुढ़ा को उदयपुरवाटी सीट से टिकट दिया। इस बार इनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार शुभकरण चौधरी और कांग्रेस के भगवान राम सैनी से था। इस त्रिकोणीय चुनाव में गुढ़ा ने जीत हासिल की।

चुनाव जीतने के बाद मंत्री पद के लिए गुढ़ा फिर से बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गये। गहलोत सरकार ने राज्यमंत्री बना दिया। लेकिन गहलोत-पायलट विवाद में उन्होंने जमकर पायलट गुट का साथ दिया। जिसके कारण वो गहलोत के विरोधी बनते चले गए।

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