राजस्थान में महिला अपराध पर अपनी की सरकार को घेरने के बाद मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को बर्खास्त कर दिया गया है। इसके बाद से राजेंद्र गुढ़ा ने सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ विरोध का झंडा उठा लिया है।वे सीएम गहलोत और सरकार पर लगातार हमलावर हैं। चुनावी साल में गुढ़ा एक लाल डायरी के जिन्न को बाहर लगाए, जिसके बाद से भाजपा गहलोत सरकार पर और हमलावर हो गई। लाल डायरी को लेकर गुढ़ा ने सीधा अशोक गहलोत पर हमला बोला इससे सीएम और कांग्रेस असहज है।
सबसे पहले जानिए क्या है मामला?
ये मामला एक साल पुराना है। जयपुर के गोविंदगढ़ के बलेखन गांव में अफ्रीका में रहने वाले डॉक्टर बनवारी लाल मील का अस्पताल है। 20 अगस्त 2022 को अभय सिंह (राजेंद्र गुढ़ा का साला) कुछ बदमाशों के साथ अस्पताल पर कब्जा करने के लिए पहुंचा था। उस दौरान पुलिस ने 14 लोगों को गिरफ्तार किया था और केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी। गिरफ्तार किए गए लोगों में गुढ़ा के निजी सहायक (पीए) दीपेंद्र सिंह और साले अभय सिंह समेत एक बिल्डर सत्यनारायण गुप्ता को भी गिरफ्तार किया था। जांच में गुढ़ा का नाम आया सामने
जानकारी के अनुसार गिरफ्तार किए गए लोगों ने तत्कालीन मंत्री राजेंद्र गुढ़ा का नाम लिया था। इसके बाद जयपुर ग्रामीण पुलिस ने उनके खिलाफ नामजद केस दर्ज किया था। लेकिन, गुढ़ा उस समय मंत्री थी, इसलिए पुलिस केस दर्ज कर शांत बैठ गई, गुढ़ा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सीआईडी-सीबी के पास पहुंची फाइल
सूत्रों की माने तो जयपुर ग्रामीण पुलिस ने मामले की जांच कर पूरी फाइल तैयार कर ली है। जिसे सीआईडी-सीबी के पास भेजा गया है। अब आदेश जारी होने के बाद गुढ़ा को कभी गिरफ्तारी किया जा सकता है। पुलिस ने सीआईडी-सीबी को क्यों भेजी फाइल
दरअसल, नियम के अनुसार प्रदेश के किसी विधायक, मंत्री या सांसद के खिलाफ दर्ज केस की जांच सीआईडी-सीबी से कराना जरूरी है। सिर्फ पुलिस की कार्रवाई पर इन जनप्रतिनिध को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। इसलिए राजेंद्र गुढ़ा के केस की फाइल सीआईडी-सीबी को भेजी गई है। राजेंद्र गुढ़ा के करीबियों पर कार्रवाई
राजेंद्र गुढ़ा की मंत्री पद से बर्खास्तगी के बाद उनके करीबियों पर भी एक्शन शुरू हो गया। गुढ़ा के बर्खास्त करने के चार दिन बाद सरकार ने उदयपुरवाटी के नगर पालिका चेयरमैन रामनिवास सैनी को डीएलबी विभाग ने अध्यक्ष और पार्षद पद से निलंबित कर दिया है। सैनी पर आरोप है कि उन्होंने साल 2022 में बिना स्वीकृत पदों के चार लोगों को भर्ती किया था। बतादें कि सैनी गुढ़ा के करीबियों में से एक हैं। उदयपुरवाटी में पालिका चुनाव के दौरान गुढ़ा ने ही उन्हें पालिकाध्यक्ष बनवाया था। रामनिवास सैनी 1998 और 2003 में विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन दोनों बार ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। जानिए कौन हैं राजेंद्र सिंह गुढ़ा, जिसने राजस्थान की राजनीति का चढ़ाया पारा
राजनीति में राजेंद्र सिंह गुढ़ा की पहली शुरुआत 2008 में हुई थी। बसपा के टिकट पर गुढ़ा ने 2008 में कांग्रेस के विजेंद्र सिंह और भाजपा के मदनलाल सैनी के खिलाफ चुनाव लड़ा। इसमें उन्होंने करीब 8 हजार वोटों से जीत हासिल की।
2008 में बसपा से चुनाव जीतने के बाद गुढ़ा ने बसपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुढ़ा को उनकी सीट उदयपुरवाटी से चुनावी मैदान में उतार दिया, लेकिन उस वक्त गुढ़ा चुनाव हार गये। इस कारण 2018 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया।
जिसके बाद फिर से गुढ़ा ने बसपा का दामन थाम लिया। बसपा ने इस बार गुढ़ा को उदयपुरवाटी सीट से टिकट दिया। इस बार इनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार शुभकरण चौधरी और कांग्रेस के भगवान राम सैनी से था। इस त्रिकोणीय चुनाव में गुढ़ा ने जीत हासिल की।
चुनाव जीतने के बाद मंत्री पद के लिए गुढ़ा फिर से बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गये। गहलोत सरकार ने राज्यमंत्री बना दिया। लेकिन गहलोत-पायलट विवाद में उन्होंने जमकर पायलट गुट का साथ दिया। जिसके कारण वो गहलोत के विरोधी बनते चले गए।